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बन के नेता नेतागिरी करने का शौक़ नहीं मुझे

मेरी ज़िन्दगी का एक फलसफा जिसे ना चाहते हुए भी मैं बता देना चाहता हूं वैसे मैं तो कोई शायर नहीं हूं लेकिन एक शायरी पेश है जो मेरे मकसद को क्लीन चिट देती है, और बार बार समाज के प्रति मेरी ज़िम्मेदारियों का अहसास दिलाती है।
पेश है…

हर सामाजिक समस्या का समाधान बन जाऊँ
ज़रूरतमंदों की ज़रूरत का सामान बन आऊँ
बन के नेता नेतागिरी करने का शौक़ नहीं मुझे
चाहत है समाज सेवा का दूसरा नाम बन जाऊँ

नमस्कार मेरा नाम डॉक्टर जय प्रकाश शर्मा है, प्यार से लोग शार्टफाम में जेपी शर्मा भी बोल देते हैं। यह लोगों का प्यार और आशीर्वाद है मेरे उम्र का दूसरा पड़ाव है दशकों पहले संतकबीरनगर के एक छोटे से गाँव गागरगाड़ से निकलकर UP के टाप शहरों में गिना जाने वाला शहर नोयडा में शिफ्ट हो गया था। इन दौरान कही खुशियों के पहाड़ थे कहीं अथाह गहराईयां ये तो हर किसी के जीवन में आता- जाता है खैर फैमिली सपोर्टेड थी सब कुछ अच्छा चलता रहा आगे बढ़ता रहा I LOVE MY FAMILY आज मैं और मेरा परिवार सैकड़ो युवाओं के रोजी रोटी का जरिए हैं,ये ना जाने किस किस का आशीर्वाद है।
बेवी हैं बच्चे और कंपनी की जिम्मेदारियां इन सब की जिम्मेदारी को समय अनुसार देखते हुए मेरे सर पर एक और जिम्मेदारी है जिसे मैं बिल्कुल भी अलग नहीं कर पाता और ना ही कभी रगों में दौड़ते इस खून से कभी अलग कर पाऊंगा वो है समाजसेवा।
प्रार्थी का समाज सेवा में लगन, वैसे तो बचपन से ही रहा है लेकिन समय आगे बढता गया पिछले एक दशक से जो समाज सेवा का अंदर से जुनून चढ़ा वो शायद जीवन भर ना उतर पाए, पिछले एक दशक से विश्व रूपी ना जाने कितनी आपदा आई जिसमें से एक कोरोना, कोरोना में मेरे काम का एक अच्छा रिस्पॉन्स रहा है,डेली मेरी टीम द्वारा सैंकड़ो से ज्यादा लोगों को खाना खिलाना, लगातार लोगो की आर्थिक रूप से मदद करना इस के इलावा गरीब परिवार की शादी-ब्याह में आर्थिक रूप से हमेशा हमेश एक अहम भूमिका निभाना इस के इलावा खाली समय में पौधारोपण करना या अपनी टीम द्वारा कराना,मेरे अन्दर समाज सेवा की पिछले एक दशक से ऐसी दिलचस्पी उभर कर आई जिसका जुनून देखकर लोग पागल भी कहते है,लेकिन उन्हे कहा पता यही मेरा पागलपन मेरे सुकून का जरिया है। यकीन मानिए भले ही मैं ज्यादातर शहर में रहता हूं दिल मेरा क्षेत्रवासियों के लिए धड़कता रहता है और धड़के भी क्यों ना उनका प्यार और आशीर्वाद मेरे ऊपर कम थोड़ी है। मैंने तो वो भी देखा है जब मैं घर जाता हूं तो कोई पैदल तो कोई साईकिल से और तो और गाजे- बाजे के साथ लोग आ जाते हैं स्वागत करने सोचता रहता हूं लोगों का इतना प्यार इस छोटी सी जिंदगी में मैं लौटा पाऊंगा की नहीं। लोगों की खुशी में मेरी खुशी छुपी है ऐसा मेरा मानना है। इस लिए जो मेरे लाएक होता नेकी करता हूं और दरिया में डाल देता हूं मुझे लगता है यह मुझे यहां बताने की जरूरत नहीं। लोगों के आशीर्वाद का नतीजा है लगातार मुझे पूरे देश में सम्मानित होने का मौका मिलता रहा हाल ही में मेरे सामाजिक कार्य को देखते हुए अंतराष्ट्रीय स्तर पर डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया जिसमें विभिन्न देशों के राजदूतों और विदेशी हस्तियां भी शामिल थी